छंद गीत #हिंदी दिवस प्रतियोगिता लेखनी -18-Sep-2022
कृपाण घनाक्षरी
सृजन शब्द -उपवास
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भूखे पेट रहकर, दुख सारे सहकर,
ममता में बहकर, करती है उपवास।
उसके जैसा न कोई, रात भर नहीं सोई,
अकेले में खूब रोई, वो तो है सबसे खास।
बच्चे हैं उसकी जान, करते क्यों परेशान ,
इतनी सी बात मान, मत करना उदास।
माँ का आँचल अपना, इक हो गया सपना,
अब नाम है जपना, उसका हो एहसास।
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कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी हिंदी दिवस प्रतियोगिता
Shashank मणि Yadava 'सनम'
25-Sep-2022 06:14 PM
Wahhhh बहुत ही खूबसूरत रचना
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Kavita Jha
25-Sep-2022 07:19 PM
सादर आभार आदरणीय 🙏
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Pratikhya Priyadarshini
22-Sep-2022 12:22 PM
Achha likha hai 💐
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आँचल सोनी 'हिया'
21-Sep-2022 12:23 AM
Achha likha hai 💐
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