Kavita Jha

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छंद गीत #हिंदी दिवस प्रतियोगिता लेखनी -18-Sep-2022

कृपाण घनाक्षरी
सृजन शब्द -उपवास
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भूखे पेट रहकर, दुख सारे सहकर,
ममता में बहकर, करती है उपवास।

उसके जैसा न कोई, रात भर नहीं सोई,
अकेले में खूब रोई, वो तो है सबसे खास।

बच्चे हैं उसकी जान, करते क्यों परेशान ,
 इतनी सी बात मान, मत करना उदास।

माँ का आँचल अपना, इक हो गया सपना,
अब नाम है जपना, उसका हो एहसास।
***
कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी हिंदी दिवस प्रतियोगिता 

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7 Comments

Wahhhh बहुत ही खूबसूरत रचना

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Kavita Jha

25-Sep-2022 07:19 PM

सादर आभार आदरणीय 🙏

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Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 12:22 PM

Achha likha hai 💐

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Achha likha hai 💐

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